CBSE Class-9 Syllabus 2017-18
Hindi (हिंदी मातृभाषा)
नवीं कक्षा में दाखिल होने वाले विद्यार्थी की भाषा शैली और विचार बोध का ऐसा आधार बन चुका होता है कि उसे उसके भाषिक दायरे के विस्तार और वैचारिक समृद्धि के लिए ज़्ारूरी संसाधन मुहैया कराए जाएँ। माध्यमिक स्तर तक आते-आते विद्यार्थी किशोर हो गया होता है और उसमें सुनने, बोलने, पढ़ने, लिखने के साथ-साथ आलोचनात्मक दृष्टि विकसित होने लगती है। भाषा के सौंदर्यात्मक पक्ष, कथात्मकता / गीतात्मकता, अखबारी समझ, शब्द की दूसरी शक्तियों के बीच अंतर, राजनैतिक एवं सामाजिक चेतना का विकास, स्वयं की अस्मिता का संदर्भ और आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त भाषा-प्रयोग, शब्दों के सुचिंतित इस्तेमाल, भाषा की नियमबद्ध प्रकृति आदि से विद्यार्थी परिचित हो जाता है। इतना ही नहीं वह विभिन्न विधाओं और अभिव्यक्ति की अनेक शैलियों से भी वाकिफ़ होता है। अब विद्यार्थी की पढ़ाई आस-पड़ोस, राज्य-देश की सीमा को लांघते हुए वैश्विक क्षितिज तक फैल जाती है। इन बच्चों की दुनिया में समाचार, खेल, फ़िल्म तथा अन्य कलाओं के साथ-साथ पत्र-पत्रिकाएँ और अलग-अलग तरह की किताबें भी प्रवेश पा चुकी होती हैं। इस स्तर पर मातृभाषा हिंदी का अध्ययन साहित्यिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक भाषा के रूप में कुछ इस तरह से हो कि उच्चतर माध्यमिक स्तर तक पहुँचते-पहुँचते यह विद्यार्थियों की पहचान, आत्मविश्वास और विमर्श की भाषा बन सके। प्रयास यह भी होगा कि विद्यार्थी भाषा के लिखित प्रयोग के साथ-साथ सहज और स्वाभाविक मौखिक अभिव्यक्ति में भी सक्षम हो सके।
इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से
(क) विद्यार्थी अगले स्तरों पर अपनी रुचि और आवश्यकता के अनुरूप हिंदी की पढ़ाई कर सकेंगे तथा हिंदी में बोलने और लिखने में सक्षम हो सकेंगे।
(ख) अपनी भाषा दक्षता के चलते उच्चतर माध्यमिक स्तर पर विज्ञान, समाज विज्ञान और अन्य पाठ्यक्रमों के साथ सहज संबद्धता (अंतर्संबंध) स्थापित कर सकेंगे।
(ग) दैनिक व्यवहार, आवेदन-पत्र लिखने, अलग-अलग किस्म के पत्र लिखने और प्राथमिकी दज़र््ा कराने इत्यादि में सक्षम हो सकेंगे।
(घ) उच्चतर माध्यमिक स्तर पर पहुँचकर विभिन्न प्रयुक्तियों की भाषा के द्वारा उनमें वर्तमान अंतर्संबंध को समझ सकेंगे।
(ड) हिंदी में दक्षता को वे अन्य भाषा-संरचनाओं की समझ विकसित करने के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे, स्थानांतरित कर सकेंगे।
कक्षा 9 व 10 में मातृभाषा के रूप में हिंदी-षिक्षण के उद्देष्य:
- कक्षा आठ तक अर्जित भाषिक कौशलों (सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना और चिंतन) का उत्तरोत्तर विकास।
- सृजनात्मक साहित्य के आलोचनात्मक आस्वाद की क्षमता का विकास।
- स्वतंत्र और मौखिक रूप से अपने विचारों की अभिव्यक्ति का विकास।
- ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों के विमर्श की भाषा के रूप में हिंदी की विशिष्ट प्रकृति एवं क्षमता का बोध कराना।
- साहित्य की प्रभावकारी क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की विविधताओं (राष्ट्रीयताओं, धर्म लिंग, भाषा) के प्रति सकारात्मक और संवेदनशील रवैये का विकास।
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Courtesy: CBSE