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रचनात्मक मूल्यांकन हेतु शिक्षक संदर्शिका
- हिंदी : पाठ्यक्रम- अ
- हिंदी : पाठ्यक्रम- ब
- कक्षा - नौवीं
निरंतर और व्यापक मूल्यांकन : शिक्षा का लक्ष्य बच्चों को समाज के लिए उत्तरदायी, उत्पादक और उपयोगी सदस्य बनने की क्षमता प्रदान करना है। विद्यालय में छात्रों के लिए सीखने के अनुभवों और सृजित अवसरों के ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण के माध्यम से निर्मित की जाती हैं। कक्षाकक्ष में छात्रा अपने अनुभवों का विश्लेषण और मूल्यांकन करने, शंकाएँ अभिव्यक्त करने, प्रश्न करने, खोजबीन करने और स्वतंत्रा रूप से सीखने का कार्य कर सकेंगे। साथ ही साथ शिक्षा का लक्ष्य समाज की वर्तमान आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को दर्शाना और इसके चिरस्थायी मूल्यों और मानवीय आदर्शों को प्रदर्शित करना है। किसी भी समय और स्थान पर इन्हें व्यापक और चिरस्थायी मानवीय आकांक्षाओं और मूल्यों का समकालीन और संदर्भित कथन कहा जा सकता है।
छात्रों की समझ, शैक्षिक लक्ष्य, ज्ञान की प्रकृति और विद्यालय की प्रकृति एक सामाजिक संस्थान के रूप में हमें कक्षा में होने वाले अभ्यासाें को सि(ांतों को तय करने में सहायता दे सकते हैं। इस प्रकार संकल्पनात्मक विकास की प्रक्रिया निर्धरित संदर्भों को गहराई तक ले जाने, समृ( बनाने तथा अर्थ के नए आयामों को अर्जित करने की निरंतर प्रक्रिया है। इसी के साथ इससे प्राकृतिक और सामाजिक दुनिया के उन सि(ांतों का विकास होता है जिनके विषय में बच्चे जानते हैं, इसमें अन्य व्यक्तियों के साथ उनके संबंध् शामिल हैं, जो उन्हें यह समझाते हैं कि चीज़ें ऐसी क्यों हैं, जैसी दिखाई देती है और इसके कारण तथा प्रभाव के बीच क्या संबंध् है। इस प्रकार मनोवृत्तियां, भावनाएं और मूल्य बोधत्मक विकास का अविभाज्य हिस्सा हैं और ये भाषा, मानसिक प्रस्तुतीकरण, संकल्पनाओं और तार्किकता के विकास के साथ जुड़े हैं। जैसे जैसे बच्चों की उच्च अवबोधत्मक क्षमताओं का विकास होता है उनका अपनी मान्यताओं से और अध्कि परिचय हो जाता है तथा वे अपने सीखने की प्रक्रिया का विनियमन करने में सक्षम होते हैं।

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